मिखेलपुरा सामुहिक सिंचाई योजना - एक अनोखी पहल - DBS

test

Tuesday, 20 March 2018

मिखेलपुरा सामुहिक सिंचाई योजना - एक अनोखी पहल



मिखेलपुरा सामुहिक सिंचाई योजना - एक अनोखी पहल

मिखेल पुरा सामुहिक सिचांई योजना की शुरूआत फा॰मोनटेरों और फा॰ लोबो के द्वारा .स्. 1963 में की गई थी। उस समय पानी नदी सें धोरो के द्वारा खेतों में पहुचाया  जाता था इस योजना को आज लगभग 54 वर्ष पूर्ण हो चुके हैं
 इस योजना से लगभग तीन सौ किसान की खेती तथा आजिविका चला रहें हैं। इस योजना के द्वारा 600 से 700 बीघा जमीन को पानी पिलाया जाता हैं। इस योजना को लम्बें समय से मिखेलपुरा पल्ली के पुरोहितों ने संभाला था। इस योजना का रजिस्ट्रेशन फा॰ एल्सन ने .. 2005 में करवाया। और एक समुह बनाया गया जिसमें अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और कोषाध्यक्ष को चुना जाता है। साथ में 15 सदस्य भी होते है। यह परिक्रिया हरसाल चुनाव के माध्यम से की जाती है। और इनकी देख-रेख में इस योजना को चलाया जाता है। और इस योजना का नाम मिखेलपुरा सामुहिक सिंचाई योजना- MSSY रखा गया। इस योजना से सभी धर्मों के लोग शामिल है। किसानों के द्वारा इस योजना को  सुव्यवस्थित तरीके से चलाई जाती है।
फा॰  थोमस के द्वारा कुछ नया प्रयास किया गया और टंकी से खेतों तक पाईप लाईन बिछाई गयी इसके बाद फा॰एल्सन के प्रयासों द्वारा नदी से टंकी तक 8 इंच की पाइप लाइन  बिछाई गयी जिससे यह योजना और सुविधाजनक हो गई।
वर्तमान में यह योजना फा॰ दोमनिक लिस्बों की देख-रेख में अध्यक्ष पमोद, उपाध्यक्ष रूपेश और सेकेट्री विकास विर्जिनिया के द्वारा चलाई जा रही है।
इस सिंचाई योजना में दो पम्प सेट लगें है। एक पम्प सेट 60 एच.पी. मोटर पम्प लगा हैं जिससे पाइप लाइन से पानी माल कें टैंक में आता है और वहाँ से भी 60 एच.पी. की मोटर पम्प से सभी खेतों में पानी पिलाया जाता हैं सभी किसानों से 300 रूपयें बीघा पानी पिलाई लिया जाता है। जिसें बिजली का बिल अन्य खर्च में काम लिया जाता है। और समय पर मोटर चालु और बन्द करने तथा रख-रखाव के लिए दो आॅपरेटर लगाऐ हुए हैं जिनका भुगतान महिने के हिसाब से किसानों से वसूल किया जाता हैं। समय के साथ इसमें दिनों-दिन सुधार किया जा रहा है और यह राजस्थान कि अनोखी एक मात्र योजना हैं जिसे पूरी तरह से किसानो के द्वारा संचालित किया जाता हैं और सिचांई कि जाती हैं वर्ष 2015-16 में बिशप स्वामी जी कि सहायता मिली। खेतों को पत्थर की दिवार बनाई।
  कारीगर, मजदूर खुद किसान थे। पत्थर का खर्च स्वामीजी की तरफ से हुआ। इसमें और एक ओर बार अनाज बो सकते हैं और जानवरों से खेत बचा सकतें हैं। इस वर्ष भी इसमें एक 30 एच.पी. का नया पम्पसेट लगाया गया हैं और किसानों कि समय पर पानी कि समस्या को सुलझाया गया। और हर वर्ष इससे ज्यादा सेे ज्यादा किसानांे को फायदा देने का लक्ष्य रख जाता है।
विकास विर्जिनिया
मिखेलपुरा  पल्ली

No comments:

Post a Comment